Shiv Shayari in Hindi | Song Details |
★★★★★★★★★★★★★★★★★★ कैसे कह दूँ कि मेरी हर दुआ बेअसर हो गई मैं जब जब भी रोया मेरे भोलेनाथ को खबर हो गई… !! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ | ★★★★★★★★★★★★★★★★★★ Song: Trilokpati Singer: Narci & Adarsh Yadav Music: Xzeus Lyrics: Narci ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ |
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त्रिलोकपति भजन हिंदी लिरिक्स
वो देख चुके विधवांस धरा का,
देख चुके वो रचना
हर युग में देखी गंगा
और हर युग में देखी यमुना
वो देख चुके है जन्म सभी का,
नाश साथ ही सबका
देख चुके है द्वारका डूबी
और लपटों में लंका
कितनी ही बार कैलाशपति
तुमने चारों युग देखे
कितनी ही बार कैलाशपति
तुमने चारों युग देखे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
काशी में विराजे है केदार में भी डेरा
तुंगनाथ के शिखर से कर्म देखे मेरा
गौरा संग बैठे हो कैलाश में भी प्रभु
जैसे नयनार के उद्धार करो मेरा
तेरा कल भी ना आया
जो वो कल भी है पता उन्हे
चाँद का भी नूर भागे
रोज़ उनकी जटा छूने
बता तूने कहां सुना
कहते उनको भांग पियो
कालकूट पीने वाला
कहते है विधाता उन्हें
डमरू का जो नाद उठे,
पैरो की तेरी थाप सुने
बर्फों पे भी आग लगे
जो जटा खोल के आप उठे
भोला तन पे जो राख मले
भूतों की टोली कांप उठे
यदि तीसरी आंख खुले,
तीनो लोको में त्रास उठे
सर्वव्यापी, दूरदर्शी,
उन्हीं में जमाने है
उन्हीं की कृपा से बंधे
दास हाथों गाने हैं
हेतु महाकाल के मैं
नाचूं शमशान में भी
आज्ञा तो दे दो
हम ऐसे ही दीवाने हैं
जानो मेरी दशा हर,
बिना तेरे दिशा बंद
लीन जैसे दशानन,
तेरे बिना फसा मन
बिना तेरे सजा क्षण,
दिया मुझे प्रजा-धन
आप हो तो जीत लूंगा
प्रभु मैं तो सजा रण
आप से हूं रजामंद,
आप से ही बसा घर
पी बैठे हो व्यथा हर
जैसे प्रभु हलाहल
यदि प्रभु खड़ा बल,
तुम ही मेरी धरातल
आप से है वर्तमान,
आप से है बना कल
कितनी ही बार कैलाशपति
तुमने चारों युग देखे
कितनी ही बार कैलाशपति
तुमने चारों युग देखे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
राम जपे तोहे,
तुम जपे राम नाम को
जहाँ महादेव
वहाँ हरि का भी नाम हो
ना साल ऐसा गया
तुझे दिन भी ना दिया
जब मैंने तेरे हाथ में
ना धरी मेरी शाम हो
तीन धारी तिलक देता
माथे को भी चैन
दिखा जो केदार तो
भीगे मेरे नैन
महाकाल बोले
दिल बना ये उज्जैन
मृत काया करना मेरी
काशी में दहन
हाथों में त्रिशूल थामा,
मेरा भोला सबसे दूर बसा
मैं घूमूँ पापी धूल रामा,
प्रभु करो मेरी भूल क्षमा
खुद से जो तूने दूर करा
तो रुक जाएगा खून मेरा
खून मेरा ना किसी काम का
यदि तुझे वो भूल गया
भक्तों के बने वो तो
प्रातःकाल सारथी
महाकाल आरती में
मैं तो क्षमा प्रार्थी
बड़े किये पाप प्रभु
आत्मा निकालो
साथ में उतार देना
दास की ये ख़ाल भी
बैठा तेरी धरा पर
आस को भी लगा कर
मुझे मिली दगा पर
चैन तेरी जगह पर
दिल यदि चला छल तो
काटो मेरे गला कल
जपके प्रभु हरि हर
दास का भी चला घर
आप से हूं रजामंद,
आप से ही बसा घर
पी बैठे हो व्यथा हर
जैसे प्रभु हलाहल
यदि प्रभु खड़ा बल,
तुम ही मेरी धरातल
आप से है वर्तमान,
आप से है बन कल
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे..
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