श्री शनि देव जी भजन –Shri Shani Dev Ji Bhajan

शास्त्रों के अनुसार, शनि देव भगवान सूर्य तथा माता छाया के पुत्र हैं। इन्हें क्रूर ग्रह का श्राप उनकी पत्नी से प्राप्त हुआ था। इनका वर्ण कृष्ण है और यह कौए की सवारी करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे और बाल्यावस्था में ही भगवान श्री कृष्ण की आराधना में लीन रहते थे।

श्री शनि देव जी मंत्र –Shri Shani Dev Ji Mantra

शनि देव के कई मंत्र हैं, जैसे कि शनि बीज मंत्र, शनि महामंत्र, शनि गायत्री मंत्र, शनि का एकाक्षरी मंत्र, शनि का वैदिक मंत्र, शनि आह्वान मंत्र, शनि दोष निवारण मंत्र, और अच्छे स्वास्थ्य के लिए शनि मंत्र. 

श्री शनि देव जी आरती – Shri Shani Dev Ji Aarti

शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से शनिदेव की पूजा- अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में भगवान की आरती करने का विशेष महत्व होता है। शनिवार के दिन शनिदेव की आरती करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

श्री शनि देव जी चालीसा – Shri Shani Dev Ji Chalisa

समस्याओं और बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए शनिवार को शनि चालीसा का पाठ करना अत्यधिक उचित माना जाता है। जिन लोगों पर शनि की दशा, ढैय्या और साढ़ेसाती चल रही हो, उन्हें शनिवार को शनि चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।

श्री शनि देव के मंदिर कई जगहों पर हैं, जैसे प्रतापगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली, इंदौर, और मुरैना. इन मंदिरों में शनि देव की पूजा की जाती है. 

श्री शनि देव जी मंदिर – Shri Shani Dev Ji Mandir

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