माँ शैलपुत्री भजन – Maa Shailaputri Bhajan

नवरात्रि की विधिवत पूजा करने वाले हैं तो, सबसे पहले एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता शैलपुत्री की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद माता का ध्यान करते हुए कलश स्थापित करें। या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ शैलपुत्री आरती – Maa Shailaputri Aarti

आरती करते समय सबसे पहले देवि प्रतिमा के चरणों में चार बार घुमाएं, दो बार नाभि प्रदेश में, एक बार मुख मण्डल पर और सात बार समस्त अंगों पर घुमाएं इस तरह चौदह बार आरती घुमानी चाहिए। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी। उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको॥ ॥ ॐ जय अम्बे गौरी…॥

माँ शैलपुत्री मंत्र – Maa Shailaputri Mantra

मां शैलपुत्री बीज मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ मां शैलपुत्री मंत्र- 1. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम।

माँ शैलपुत्री चालीसा – Maa Shailaputri Chalisa

माँ शैलपुत्री चालीसा, नवरात्रि के पहले दिन की पूजा में पढ़ी जाती है, जो माँ दुर्गा के पहले स्वरूप का वर्णन करती है। यह चालीसा माँ शैलपुत्री की महिमा और उनके भक्तों पर कृपा का वर्णन करती है.

माँ ब्रह्मचारिणी भजन – Maa Brahmacharini Bhajan

माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। ब्रह्मचारिणी मां को भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। इसके उपरांत देवी ब्रह्मचारिणी मां के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें।

माँ ब्रह्मचारिणी आरती – Maa Brahmacharini Aarti

मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, घृत यानी घी, मधु (शहद) और शर्करा से स्नान कराएं. उसके बाद मां का पसंदीदा भोग लगाएं. उन्हें पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. मां के मंत्रों का जाप करें और आरती करें.

माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र – Maa Brahmacharini Mantra

  • नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के तपस्विनी रूप की पूजा होती है.
  • मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से पराशक्तियों को पाया जाता है.
  • इनकी कृपा से व्यक्ति को कई तरह की सिद्धियां मिलती हैं.
  • माता के इस रूप की पूजा से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं.
  • माता ने इस स्वरूप में सीख दी है कि कठिन से कठिन संघर्ष में मन को विचलित नहीं होने देना चाहिए.
  • मां ब्रह्मचारिणी को देवी पार्वती के अविवाहित रूप में पूजा जाता है.
  • उनके दाहिने हाथ में एक रुद्राक्ष माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल (पानी का एक बर्तन) होता है.

माँ ब्रह्मचारिणी चालीसा – Maa Brahmacharini Chalisa

मां ब्रह्मचारिणी की चालीसा नवरात्रि के दूसरे दिन, मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा और तपस्या के महत्व को समर्पित है, जो ज्ञान, शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है.

माँ चंद्रघंटा भजन – Maa Chandraghanta Bhajan

देवी चंद्रघंटा की तीसरी आंख हमेशा खुली रहती है, जो बुराई के खिलाफ लड़ाई के लिए उनकी निरंतर तत्परता को दर्शाती है. मां की पूजा से सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है. इससे स्पष्टता, आत्मविश्वास और सही निर्णय लेने की योग्यता जैसे मणियों सरीखे गुण प्राप्त होते हैं.

माँ चंद्रघंटा आरती – Maa Chandraghanta Aarti

नवरात्रि के तीसरे दिन, मां चंद्रघंटा की आरती की जाती है, जो माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप का प्रतीक है। आरती में, माँ को शांत, शीतल, और वरदान देने वाली देवी के रूप में वर्णित किया गया है, जो भक्तों को संकटों से बचाती है.

माँ चंद्रघंटा मंत्र – Maa Chandraghanta Mantra

मां चंद्रघंटा का मंत्र “या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” है, जिसका अर्थ है, “हे माँ! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है”।

माँ चंद्रघंटा चालीसा – Maa Chandraghanta Chalisa

मां चंद्रघंटा की चालीसा का पाठ करने से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.

माँ कूष्माण्डा भजन – Maa Kushmanda Bhajan

माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।

माँ कूष्माण्डा आरती – Maa Kushmanda Aarti

नवरात्रि के चौथे दिन, मां दुर्गा के चौथे स्वरूप, मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है, और इस दिन उनकी आरती की जाती है, जो “कूष्माण्डा जय जग सुखदानी” से शुरू होती है.

माँ कूष्माण्डा मंत्र – Maa Kushmanda Mantra

मां कूष्मांडा का मंत्र “या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” है, जिसका अर्थ है, “हे देवी, जो सभी भूतों में कूष्मांडा के रूप में विराजमान हैं, उन्हें बार-बार प्रणाम है”.

माँ कूष्माण्डा चालीसा – Maa Kushmanda Chalisa

मां कूष्मांडा को नवरात्रि के चौथे दिन विशेष रूप से पूजा जाता है, और उनकी चालीसा उनके भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह चालीसा मां कूष्मांडा के गुणों और महिमा का वर्णन करती है और उनकी कृपा प्राप्त करने में मदद करती है.

माँ स्कंदमाता भजन – Maa Skandmata Bhajan

स्कंदमाता को नियमित रूप से “अग्नि की देवी” के रूप में जाना जाता है और माना जाता है कि वे भक्तों को मोक्ष, शक्ति, समृद्धि, खजाने, ज्ञान (भले ही वे अनपढ़ हों) और उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति का इनाम देती हैं, स्कंदमाता में सूर्य का तेज है ।

माँ स्कंदमाता मंत्र – Maa Skandmata Mantra

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। मां स्‍कंदमाता के लिए आप रोजाना की तरह सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर लें और पूजा के स्‍थान को गंगाजल से शुद्ध कर लें। उसके बाद लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति या फिर तस्‍वीर को स्‍थापित करें।

माँ स्कंदमाता आरती – Maa Skandmata Aarti

नवरात्रि के पांचवें दिन, देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है, और इस दौरान उनकी आरती की जाती है, जो भक्तों को शक्ति और भक्ति प्रदान करती है.

माँ स्कंदमाता चालीसा – Maa Skandmata Chalisa

नवरात्रि के पांचवें दिन, स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा का पांचवां स्वरूप है, और उन्हें स्कंदमाता चालीसा के साथ सम्मानित किया जाता है.

माँ कात्यायनी भजन – Maa Katyayani Bhajan

नवरात्रि का छठा है यह माँ कात्यायनी रूप। कलयुग में शक्ति बनी दुर्गा मोक्ष स्वरूप॥ कात्यायन ऋषि पे किया माँ ऐसा उपकार। पुत्री बनकर आ गयी, शक्ति अनोखी धार॥ देवों की रक्षा करी, लिया तभी अवतार।

माँ कात्यायनी आरती – Maa Katyayani Aarti

कात्यायनी (कात्यायनी) महादेवी का एक रूप है और अत्याचारी राक्षस महिषासुर का वध करने वाली है। वह नवदुर्गाओं में छठी हैं, हिंदू देवी दुर्गा के नौ रूप जिनकी नवरात्रि के त्यौहार के दौरान पूजा की जाती है। उसे चार, दस या अठारह हाथों के साथ दर्शाया गया है।

माँ कात्यायनी मंत्र – Maa Katyayani Mantra

कात्यायनी मंत्र के लाभ​​ विलंबित विवाह की समस्या के समाधान के लिए कात्यायनी मंत्र लाभकारी है । ऐसा माना जाता है कि कात्यायनी मंत्र में जन्म कुंडली में स्तिथ कुज या मांगलिक दोष को दूर करने की शक्ति होती है ।

माँ कात्यायनी चालीसा – Maa Katyayani Chalisa

मां कात्यायनी चालीसा, नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा के दौरान की जाती है, जो मां दुर्गा के छठे रूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह चालीसा भक्तों को सुख, सौभाग्य और आयु प्रदान करने में मदद करती है।

माँ कालरात्रि भजन – Maa Kaalratri Bhajan

माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।

माँ कालरात्रि आरती – Maa Kaalratri Aarti

विधिपूर्वक दुर्गा माता के इस सातवें स्वरूप की पूजा करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है, साथ ही अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। माँ कालरात्रि यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी के रूप में भी जानी जाती है।

माँ कालरात्रि मंत्र – Maa Kaalratri Mantra

मां कालरात्रि, जिन्हें शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है, देवी दुर्गा का सातवां रूप हैं, और नवरात्रि के सातवें दिन उनकी पूजा की जाती है. उनका मंत्र “ॐ कालरात्र्यै नमः” है और यह माना जाता है कि यह मंत्र भक्तों को भय से मुक्ति दिलाता है.

माँ कालरात्रि चालीसा – Maa Kaalratri Chalisa

माँ कालरात्रि चालीसा, दुर्गा के सातवें रूप, माँ कालरात्रि को समर्पित एक स्तोत्र है, जो नवरात्रि के सातवें दिन विशेष रूप से पढ़ा जाता है. यह चालीसा भक्तों को भय और दुखों से मुक्ति दिलाती है और माता की कृपा प्रदान करती है.

माँ गौरी भजन – Maa Gauri Bhajan

नवरात्रि के दिनों में विशेष रूप से अम्बे गौरी माता की पूजा की जाती है, इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दिनों में “जय अम्बे गौरी” आरती गाकर भक्त उन्हें प्रसन्न करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं

माँ गौरी आरती – Maa Gauri Aarti

इस दौरान घर व पंडालों में मां दुर्गा की मूर्ति को स्थापित किया जाता है, जिसकी नौ दिनों तक विधि विधान से पूजा होती है। मान्यता है कि सच्चे मन से मां अंबे की पूजा करने से जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं।

माँ गौरी मंत्र – Maa Gauri Mantra

महागौरी, माँ दुर्गा का 8वां स्वरूप है। मां महागौरी को माता पार्वती का ही एक रूप कहा जाता है। इसके पीछे कहा जाता है कि माता पार्वती की तपस्या के कारण ही उन्हें महागौरी अवतार प्राप्त हुआ था।

माँ गौरी चालीसा – Maa Gauri Chalisa

आज के इस लेख में हम गौरी चालीसा (Gauri Chalisa) का पाठ करने जा रहे हैं। गौरी माता भगवान शिव की पत्नी हैं जिनका दूसरा नाम माता पार्वती है। एक तरह से कहा जाए तो माता पार्वती का गौरी वाला रूप विवाहित व अविवाहित स्त्रियों के द्वारा अपने सुहाग की रक्षा तथा मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए पूजा जाता है।

माँ सिद्धिदात्री भजन – Maa Siddhidatri Bhajan

नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा होती है. मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना से सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त होती है और लौकिक-परलौकिक सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है.

माँ सिद्धिदात्री आरती – Maa Siddhidatri Aarti

माता सिद्धिदात्री की पूजा में उनकी विशेष आरती ‘जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता’ का पाठ भी करना चाहिए। विस्तार से पढ़ें दुर्गा जी के नौवें अवतार माता सिद्धिदात्री जी की आरती।

माँ सिद्धिदात्री मंत्र – Maa Siddhidatri Mantra

मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम: अर्थ: ये बीज मंत्र ऊर्जा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, इसका अर्थ है कि “हे सिद्धिदात्री देवी, मैं आपको पूरी श्रद्धा और मन से प्रणाम करता हूँ। आप जो सिद्धियों और सफलताओं का दान करती हैं, आपकी कृपा से मैं उन सिद्धियों को प्राप्त करना चाहता हूँ।”

माँ सिद्धिदात्री चालीसा – Maa Siddhidatri Chalisa

माँ सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नौवां रूप हैं, जिन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों की दाता माना जाता है। नवरात्रि के नौवें दिन उनकी पूजा की जाती है, और मान्यता है कि उनकी कृपा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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